
अजन्मी बेटी की गुहार
माँ ! माँ !! माँ !!
माँ ,में हू तेरे तन का हिस्सा ,
तेरा अनजान सा सपना
तेरी बेटी :-
जो आकार लेना चाह रही हे तुझमे
तू मुझे पहचान कर
अपने से अलग करने का सोच रही हे
पर क्यों माँ ?
ना कर मुझे अपने तन से जुदा अभी
आने दे इस जहा में मुझे
तेरे आँचल की छाँव पा लेने दे मुझे
तेरे आदर्शो का आइना बनूँगी में :-
अभी तू इक आदर्श निभा ले माँ
तेरे अस्तित्व का आधार बनूँगी में :-
अभी अपने को मेरा आधार बना ले माँ
बाबा घर का नाम चले
यह सोच रहे है
पहचान उनकी बन, जग में नाम करुँगी में
में सेतु बन कुल मर्यादा का
सब धर्म निभाऊंगी ,
कर देना तब जुदा घर से
ना कर जुदा अभी अपने तन से
माँ ! मेरी माँ में आत्मा हू तेरी
मत घायल कर उसे इस ढंग से
प्रवेश सोनी