Wednesday, June 8, 2011

MY CREATION

MY CREATION

सृष्टा हो गया मीत ....
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मौन अभिव्यक्त हुआ ,
साँसे हुई वाचाल .....
समर्पण की साध में
फेले स्नेहिल बाहुपाश ....
रक्ताभ क्षितिज पर
छाया धानी आँचल ...
बेकल चाँद पर बरसे ,
बादल के भीगे उच्चारण ...
साँसों की सरगम पर ,
गूंजे मनुहारो के गीत ...
अनुबंधों के द्वार खोलकर
उन्मत हो गई प्रीत
अर्पित हुआ मन ,
सम्पूर्ण समर्पण में ....
तारे बीन लिए आँचल में
राग –स्वरों की संगत में ....
अपनेपन ने सपनों की
गागर भर ली ...
प्रीत संदर्भो के गीत रचाकर ,
सृष्टा हो गया मीत ....


प्रवेश सोनी