Friday, January 20, 2012
जब तुम नहीं होते हो पास ....
तब भी तो होते हो तुम मुझमे ,
सुनते हो मुझे ..
उन शब्दो को समझते भी हो ,
जिन्हें नाकाम रहती हू हमेशा
तुम्हे समझाने में ...
अपने सूक्ष्म कोमलतमज स्पर्श से
स्वीकारते हो उन्हें ...
ढेरो प्रतिकूलताओ के बाद भी ,
गुथा रहता हे राग तुमसे ..
सुकोमल स्पन्दनो ,अहसासों की
कोंपले पल्लवित हो जाती हे ....
जड़े जम जाती हे
नीचे –और नीचे
दुगनी मजबूती से
थामे रहती हे हमारे .
अबोले संबोधनो को ..
और प्रीत वृक्ष हरिया जाता हे
बसंती बयार के साथ ...
लाल गुलाबी ,नीले पीले
प्रसूनो से प्रफुल्लित हो ,
महक जाता जीवन कानन मेरा ..!!!.
प्रवेश सोनी —
Tuesday, January 3, 2012
नव वर्ष ....
नया तो कुछ नहीं ,
दीवार पर टंगे केलेन्डर
के सिवा ..
तुम आते हो ,और गुजर जाते हो अपनी ही रो में ...
हालात बदलने की जद में ,रह जाते है हम जस के तस ...
नए की चाह में ..
नज़रे बिछाती हे
आस की जाजम ..
मगर वो भी कितनी मटमैली हो गई है अब
पीठ से बतियाते पेट ,
जिनमे सुलगती आग
नहीं जलती कई कई
दिनों तक चूल्हों मै .....
मन ही मन करते क्रदन
केसे करे वो तेरा वंदन ..
लू लपटों में जलते ,
ठिठुरते शीत हवाओ में ,
आकाश ओढ़ सोते जिनके तन ,
केसे थिरके वो तेरी मदमाती लय पर ..
रूठी बैठी जाने किस कोने मै
होठो से जिनके हँसी
खुशियों के कर्जे मै
डूबा हो मन जेसे ...
सपनो का अभिशाप जो सहते
निर्मिमेष रीते सुने मन से
आँखों को समझाते रहते
अपने ही काँधे पर तुझको ढोते
केसे वो तेरे स्वागत गीत को गाये
साया विगत का लेकर
ओढ़ कर चोला नव
हमें भरमाते ,
नव वर्ष कभी तो
कुछ तो नया लेकर आते ...!!!
प्रवेश सोनी
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