यही था उसका दोष
वो नारी थी
अहिल्या ....
छली गई ...नर से ,
शापित हुई ..नर से ,
उद्धार हुआ ...नर से ....
अंततः नारी
मादा
होकर मर जाती है
नर
बहुरूप में
आदि से अनादि तक
जीवित हैं....!!!
प्रवेश सोनी
कारा
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दाना है ,
पानी है ,
सलाखे ....!
पिंजरा .......!!
कारा ..........?
नहीं नहीं नीड़ ,
नहीं नहीं कारा ....
नहीं नीड़ ,
नहीं कारा....
नीड़ ,
कारा...
नीड़ ,
हां नीड़
फडफडाहट में पर ही जख्मी हुए ...
अन्तंत उसने समझौतो की थपकियों
से मन को सुला दिया .......!!!
प्रवेश सोनी