सुरमयी सांझ ने समेटा
रौशनी का कारोबार
अपने आँचल मै .....
रात ने बिछा दी है चादर
आसमाँ पर सितारों की ..
हाँ ...आँखों को इन्तजार है
जीवन के सपने का ,....
तुमने ही तो कहा था
सपनों मै ही तो जिया जाता है
सच्चा जीवन ..
और मै सपने को जीने के लिए
हर सांझ को रात में समेटती रही ...!!
प्रवेश सोनी