Saturday, August 4, 2012

 चाहू होना शून्य 
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स्मृतियों के पल ,
हवा पर सवार होकर ,
अपने पूरे वजूद से ..

खडका देते है मन की किवडिया..
समेट लाते है अनंत ब्रम्हाण्ड प्रेम का ..
अंतस में सजा देते है
ख्वाबों के शामियाने ,
तरंगित साँसो मै गूंजती है
स्वर्णिम शहनाई ..

एक छुअन ,
एक सिहरन ..,
अधरों पर थरथराती एक कहानी ,
मीरा की ह्रदय जोत ,
राधा की अटूट प्रीत ..
चातकी की आस ..
जन्म- जन्मो की साध ,
मनमीत मेरे ,
प्रीत मै तेरे ,
रचे सब गीत मेरे ..
दिव्य अलोकिक यादों की घड़ियाँ ,
अनंत कर देती
मुझको मुझमे ..
चाहू होना शून्य ,
विलीन होकर बस उनमे ...!!!



प्रवेश सोनी