Monday, August 30, 2010


ख्याल
कभी इधर से –
तो कभी उधर से
यु ही हर वक्त
सनसनाती हवा से
गुजर जाते हो नजदीक से तुम
एक ख्याल बन कर
तुम्हे पाने को मचल उठती हू ,
तुम्हे जीने के लिए
तड़प उठती हू
तुम्हे सोचते - सोचते
नसे टूट जाती हे ,
फिर उठती हे पलके
और दिवा स्वप्न से
तुम उनमे बस जाते हो !
तनहा होना चाहती हू
तुम्हारे ख्यालो से ..
पर तन्हाई में और भी
उमड़ घुमड़ कर बरस
जाते हे आँखों से ...
तब मन की भूमि
सिंचित होकर
अंकुरित करती हे
एक सवाल ...
क्यों नहीं आते हो तुम ??
ख्याल बन कर क्यों
सताते हो तुम ???


प्रवेश सोनी

Tuesday, August 10, 2010


वेदना का मोन निमंत्रण
आँख से चल पड़ा,
ना जाने कोनसे मन पे
देगा दस्तक .....
किस मन से पायेगा
अनुभूति का आधार
किस हर्प में
शब्द बन जुडेगा ...
ना जाने किस कथा का
होगा आधार ..
आबे -गंगा से भी
पूछ लेगा ,
कितना मैला में ,
तू कितना पावन ...
दर्द मेने दिल का धोया
तुने धोया किसका अंतर्मन ....?

प्रवेश सोनी
*********