Monday, August 30, 2010


ख्याल
कभी इधर से –
तो कभी उधर से
यु ही हर वक्त
सनसनाती हवा से
गुजर जाते हो नजदीक से तुम
एक ख्याल बन कर
तुम्हे पाने को मचल उठती हू ,
तुम्हे जीने के लिए
तड़प उठती हू
तुम्हे सोचते - सोचते
नसे टूट जाती हे ,
फिर उठती हे पलके
और दिवा स्वप्न से
तुम उनमे बस जाते हो !
तनहा होना चाहती हू
तुम्हारे ख्यालो से ..
पर तन्हाई में और भी
उमड़ घुमड़ कर बरस
जाते हे आँखों से ...
तब मन की भूमि
सिंचित होकर
अंकुरित करती हे
एक सवाल ...
क्यों नहीं आते हो तुम ??
ख्याल बन कर क्यों
सताते हो तुम ???


प्रवेश सोनी

10 comments:

  1. रचना बहुत सुंदर है लेकिन कुछ गल्तियां है। हिंदी पर मेहनत करनी होगी आपको....तुमे नहीं तुम्हें होता है
    यु ही नहीं यूं होता है
    तड़फ नहीं तड़प होती है
    हे नहीं है
    हू नहीं हूं
    ध्यान दीजिएगा
    चित्र बहुत अच्छा है

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  2. स्वागत है। कृपया http://afra-tafrih.blogspot.com/पर भी तशरीफ लाएं।

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. आप सभी प्रबुद्धजनों का ह्रदय से आभार ,वीणा जी गलतियों की और ध्यान दिलाने के लिए कोटिशः धन्यवाद ,में सुधार करुँगी और आगे से प्रयास करुँगी की ऐसी कोई गलती न होए ,में अच्छा लिखने के लिए प्रयास रत रहूंगी .......सादर आभार

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  5. ख़यालों को सजीव करती ,ख़यालों से बात करती एक सार्थक रचना के लिये रचनाकारा प्रवेश सोनी जी को दिल से बधाई।

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