Thursday, October 18, 2012


रिश्ते
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रिश्ते ....
कितने सस्ते ...
निभ जाने कि खातिर ,
करने होते
कितने
महंगे समझौते .....

समझौते गर बन जाते रिश्ते .....
जीवन बीते फिर
कितने सस्ते ......!!


प्रवेश सोनी
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देह यात्रा .....
अविराम ,
अवचेतन मन से हारी ....,
सम्पूर्णता कि राह मै ,
शून्यता

नेसर्गिक देह दीप मै ,..
नेह कि बाती जला ,
टपकता उजास ...
मन के स्याह से जीतने के लिए ..

अनवरत ,अविराम यात्रा ..!!