लफ्जों – लफ्जों का दिल है छलनी ,
केसे ग़ज़ल का श्रृगांर करे ..
सन्नाटा भी है घायल ,
आवाजों के जंगल में
केसे दिल की बात सुने ..
खुद को खो बैठे है ,
रिश्तो के मेलो में
केसे ढूंढे ,किससे फ़रियाद करे ..
बंजारा मन बंधन न माने
केसे इसको समझे ,
केसे इसकी मनुहार करे ....!!
प्रवेश सोनी