Thursday, January 10, 2013


भवरों ने कलियों से 
फूलो ने तितली से 
शमां से पूछा पतंगे ने 
आकाश ने धरा से ,
नदिया ने सागर से ,

क्या कहा ...
जो सच में लगे सपना ...
और सपने मै सच लगे 
अह्सास गहरा ,
जिसमे ढूबे तो अच्छा लगे ...

देख सुन सब 
मन को ....
नाम तेरा भला लगे ..!!!

प्रवेश सोनी
 

लफ्जों – लफ्जों का दिल है छलनी ,
केसे ग़ज़ल का श्रृगांर करे ..

सन्नाटा भी है घायल ,
आवाजों के जंगल में 
केसे दिल की बात सुने ..

खुद को खो बैठे है ,
रिश्तो के मेलो में 
केसे ढूंढे ,किससे फ़रियाद करे ..


बंजारा मन बंधन न माने 
केसे इसको समझे ,
केसे इसकी मनुहार करे ....!!

प्रवेश सोनी