Tuesday, October 5, 2010


अब यु ही तबियत बहल जायेगी
खत तेरा पढ़ कर ही रात गुजर जायेगी

हर तह में हे तेरी साँसों की खुशबु
अक्षर –अक्षर सूरत तेरी नज़र आएगी

महकने लगे हे चाहत के मंजर सुहाने
खुशी –खुशी में आँख मेरी भीग जायेगी

जख्म यु मुस्करा के खिल जायेंगे
मोहब्बत की दास्ताँ जब लबो पे आएगी

प्रवेश सोनी