Friday, March 18, 2011


तुझ बिन केसी मेरी होली
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केसे थामू आँचल
बैरी उड़ उड़ जावे
मादक पवन के मस्त झकोरे
नीले ,पीले रंग उडावे

उर उमंग फागुनी ,
मन बोराया ,तन शरमाया ..
यादों की मनुहारो ने ,
पल पल तुझे बुलाया ....

परदेशी तुझ बिन केसी मेरी होली
सतरंगी रंगों ने मेरा तन झुलसाया ...
लाल ,हरा ,न पीला ,जाफरानी
मोहे तेरी प्रीत का ही रंग भाया ....

मधुर –मधुर मधुप की गुंजन
सुन- सुन मन विषाद समाया ....
नंदन ,कानन ,उपवन –उपवन
टेसू चंपा से गरनाया...

मुझ बिरहन को भाये न कुछ
लागे ,सबने मोहे चिढाया ...

प्रीत –प्रीत में भीगे हमजोली ,
सखी लिपट कर करे ठिठोली
बेरन अंखियों ने सपनों का नीर बहाया ...

तुझ बिन साजन ना
मन कोई त्यौहार मनावे ,
तू संग हो तो
हर दिन मेरा होली हो जावे ....

प्रवेश सोनी
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Saturday, March 5, 2011


बटोही


उजले पैरो से
खुद को समेट कर
धुप
सांझ के
आगोश में
सुनहरी हो गई ,!!

सितारों की
जमीं पर
रात ने
रचे छंद
मधुबन के ..!!

चाँद की
देह में
जल उठे
कई सूरज !!

समंदर को
सुखा देने
वाली प्यास
खड़ी हे
चोखट पर
जलाये नजरो के दीये..!!

गया था जो
इस राह से ,
लोट कर कब ,
आएगा वो बटोही ??

प्रवेश सोनी

Thursday, March 3, 2011


शब्द ,
रचते हे तुम्हे
मन ही मन
प्रभाती से
गुनगुना कर ,
कुनकुनी धुप से
उतरते हो आँगन में ..
सहेज लेती हूँ
उष्णता तुमारी ,
रोम –रोम में
भर लेती हू तुम्हे
पहर –पहर बांचती हू
सुबह से शाम तलक ..
सोच की चादर ओढ़ ,
स्वप्न सिरहाने रख
भीग जाती हू चाँदनी में ..
स्नेह झरता हे
हरसिंगार बन ,
मन भ्रमर पीता मकरंद .....
चाहत की रुबाई बन
शब्दों में ढल ,
बन जाते हो तुम कविता .....


प्रवेश सोनी