Thursday, January 10, 2013


लफ्जों – लफ्जों का दिल है छलनी ,
केसे ग़ज़ल का श्रृगांर करे ..

सन्नाटा भी है घायल ,
आवाजों के जंगल में 
केसे दिल की बात सुने ..

खुद को खो बैठे है ,
रिश्तो के मेलो में 
केसे ढूंढे ,किससे फ़रियाद करे ..


बंजारा मन बंधन न माने 
केसे इसको समझे ,
केसे इसकी मनुहार करे ....!!

प्रवेश सोनी

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