Friday, December 9, 2011


तपते हुए दिन से विदा ले सूरज . आ खड़ा सांझ की देहरी पर .. इठला कर सांझ ने लहराया आँचल...... अलसाई रात ने सिलवटो में समेटे सपने .. सिंदूरी साँसों ने स्वर साधे भीगा भीगा मन नटराज हुआ .... फलक से जमी तक झरता रहा , प्रीत का हरसिंगार .. प्यास ने पिघला दिए सारे ओंस कण .... अंधेरो ने मुस्कराकर रच दिए महा काव्य ... उड़ चला प्रीत का पाखी ले एक सुहानी भोर ...!!!

प्रवेश सोनी

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