Friday, March 2, 2012


सपनों का सूरज
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वो पल
सर्द होकर
बर्फ से जम गए
यादो की पगडण्डी पर ..
गुजरे थे जो
तुम्हारी और मेरी
गर्म साँसों की राह से ...

पिघलते नहीं
आँखों के बहते
खार से ...

चुभते है
फांस से
असहनीय पीड़ा बन ,
और कभी अचानक से
खिल जाते
मुस्कराहट बन


गाहे बगाहे यह पल
उगा देते है
मेरे हिस्से की धूप लेकर
जीवन में सपनो का सूरज.....!!! ,

प्रवेश सोनी

24 comments:

  1. aapke hisse ka dhoop...ne chamka diya sapno ka suraj:)
    aap behtareen likhte ho...

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  2. गाहे बगाहे यह पल
    उगा देते है
    मेरे हिस्से की धूप लेकर
    जीवन में सपनो का सूरज.....!!! ,waah bahut khoob ... !!

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    1. क्षितिजा जी आभार सहित धन्यवाद

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  3. गाहे बगाहे ये पल
    उगा देते हैं
    मेरे हिस्से की धूप लेकर
    जीवन में सपनों का सूरज ....

    बहुत सुंदर .....
    एक प्रभावशाली रचना ....:))

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    1. हरकीरत 'हीर ' जी आभार सहित धन्यवाद

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  4. पिघलते नहीं
    आँखों के बहते
    खार से ...
    बढ़िया भाव कणिका .एक हूक सी पैदा करती सी .

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  5. वाह......
    शुभकामनायें आपको !

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  6. Replies
    1. शुक्रिया देवेन्द्र जी

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  7. sabki apne apne hisse ki dhoop..sapne..
    bahut sundar rachna

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  8. बेहद खूबसूरत रचना |

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  9. अति उत्तम ,,बेहतरीन रचना...

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  10. बहुत खूबसूरत है बारहा पढो ,मन हलका हो जाता है .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    सोमवार, 21 मई 2012
    यह बोम्बे मेरी जान (चौथा भाग )
    यह बोम्बे मेरी जान (चौथा भाग )

    . .
    ram ram bhai
    )http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  11. भावपूर्ण रचना क्या कहने...
    बहुत ही सुन्दर..
    भावविभोर करती रचना...

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