सुरमयी सांझ ने समेटा
रौशनी का कारोबार
अपने आँचल मै .....
रात ने बिछा दी है चादर
आसमाँ पर सितारों की ..
हाँ ...आँखों को इन्तजार है
जीवन के सपने का ,....
तुमने ही तो कहा था
सपनों मै ही तो जिया जाता है
सच्चा जीवन ..
और मै सपने को जीने के लिए
हर सांझ को रात में समेटती रही ...!!
प्रवेश सोनी
रौशनी का कारोबार
अपने आँचल मै .....
रात ने बिछा दी है चादर
आसमाँ पर सितारों की ..
हाँ ...आँखों को इन्तजार है
जीवन के सपने का ,....
तुमने ही तो कहा था
सपनों मै ही तो जिया जाता है
सच्चा जीवन ..
और मै सपने को जीने के लिए
हर सांझ को रात में समेटती रही ...!!
प्रवेश सोनी
Waah Pravesh ji kya khoob likha hai aapne,
ReplyDeletebahut umda antim pakntiyan to ander tak gher ker gayi
amresdra ji bahut bahut dhanywaad
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